हाथी और खरगोश की कहानी (The Rabbit and the Tortoise Story)

 



बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में हाथी और खरगोश रहते थे। हाथी बड़ा और भारी था, जबकि खरगोश छोटा और हल्का था। दोनों का दोस्ती बहुत अच्छी थी और वे हमेशा साथ में घूमते रहते थे।

एक दिन, हाथी और खरगोश ने गाँव के बाहर एक रेस का आयोजन किया। सभी जानवरों को बुलाया गया, और खुद राजा भी उपस्थित थे। रेस का मैदान बड़ा था और लोगों की भरमार लगी हुई थी। हाथी और खरगोश भी अपनी तैयारी में जुटे थे।

रेस का शुरुआत हो गई, और सभी जानवर दौड़ने लगे। हाथी, जिसमें भारी और तेज़ कदम थे, जल्दी ही आगे बढ़ गया। वह बड़ी तेज़ी से दौड़ रहा था और लगता था कि खरगोश को पीछे छोड़ देगा।

वहीं, खरगोश धीरे-धीरे दौड़ रहा था, लेकिन उसकी दृढ़ निर्णय और स्थिरता में ही उसकी शक्ति छुपी हुई थी। हाथी ने अचानक एक पेड़ के पास एक बड़ी सीधी सड़क देखी और सोचा कि वह उसे जल्दी पार कर लेगा।

हाथी ने बड़ी तेज़ी से रेस की सड़क पर चलना शुरू किया, लेकिन खरगोश ने देखा और सोचा कि यह एक अवसर है। वह धीरे-धीरे चलते चलते सड़क के पास पहुँचा और उसने एक बड़ी खोज की।

खरगोश ने देखा कि एक बड़ी गड्ढा सड़क को काट रही थी। वह तुरंत उस गड्ढे में गया और एक सुरंग बना लिया। फिर उसने धीरे-धीरे सड़क को पार किया और हाथी को पीछे छोड़ दिया।

हाथी ने सड़क पार करते हुए देखा कि खरगोश पहले पहुँच गया है। वह बहुत हैरान हुआ और सोचता रह गया कि कैसे हुआ यह सम्भव।

रेस का समापन हुआ, और खरगोश ने विजय प्राप्त की। राजा ने उसे सराहा और बताया कि धैर्य और बुद्धिमता हमेशा विजय प्राप्त करती हैं। हाथी ने भी खरगोश की बुद्धिमता की सराहना की और समझा कि भाग्य के साथ-साथ सही रणनीति भी महत्वपूर्ण है।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि धीरे-धीरे, स्थिरता और सही रणनीति के साथ हम किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। यह न केवल एक कहानी है, बल्कि जीवन का एक महत्वपूर्ण सबक भी है।

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